Tuesday 22 September 2015

छत वाला क्रिकेट

बचपन में जब अपार्टमेंट की छत पर क्रिकेट खेलते थे तो सबसे ज्यादा झगड़ा इसी बात पर होता था की बॉल नीचे जायेगी तो कौन लेकर आएगा। दिन भर क्रिकेट खेलने में कभी उतनी थकान नहीं होती थी जितनी सीढिया उतरकर नीचे से बॉल लाने में। और इसलिए नियम ऐसे बनाये जाते थे क़ि बॉल अगर नीचे गयी तो बैट्समैन आउट तो होगा ही बॉल भी वही लेकर आएगा। बॉल तो खैर तब भी नीचे जाती ही थी और फिर शुरू होता था इंतज़ार रास्ते से गुजरने वाले किसी भले मानस का जो हमारी बॉल वापस छत पर फेक दे और खेल आगे बढे।

यह पोस्ट उन्ही जाने पहचाने या अनजाने भले व्यक्तियो या कहिये फरिश्तों की याद में जिन्होंने अपना एक कीमती मिनट देकर छत वाले क्रिकेट की परंपरा को बनाये रखने में योगदान दिया।

Wednesday 9 September 2015

कुछ पुरानी यादें

चम्पक का यह दुर्लभ अंक स्कैन करके यहाँ डाल रहा हूँ। शायद इससे कुछ पुराणी यादें ताज़ा हो जाए।
चम्पक अगस्त 1980