बचपन में जब अपार्टमेंट की छत पर क्रिकेट खेलते थे तो सबसे ज्यादा झगड़ा इसी बात पर होता था की बॉल नीचे जायेगी तो कौन लेकर आएगा। दिन भर क्रिकेट खेलने में कभी उतनी थकान नहीं होती थी जितनी सीढिया उतरकर नीचे से बॉल लाने में। और इसलिए नियम ऐसे बनाये जाते थे क़ि बॉल अगर नीचे गयी तो बैट्समैन आउट तो होगा ही बॉल भी वही लेकर आएगा। बॉल तो खैर तब भी नीचे जाती ही थी और फिर शुरू होता था इंतज़ार रास्ते से गुजरने वाले किसी भले मानस का जो हमारी बॉल वापस छत पर फेक दे और खेल आगे बढे।
यह पोस्ट उन्ही जाने पहचाने या अनजाने भले व्यक्तियो या कहिये फरिश्तों की याद में जिन्होंने अपना एक कीमती मिनट देकर छत वाले क्रिकेट की परंपरा को बनाये रखने में योगदान दिया।
यह पोस्ट उन्ही जाने पहचाने या अनजाने भले व्यक्तियो या कहिये फरिश्तों की याद में जिन्होंने अपना एक कीमती मिनट देकर छत वाले क्रिकेट की परंपरा को बनाये रखने में योगदान दिया।