राजस्थान के भरतपुर में एक्सिस बैंक के एक एटीएम में 100 रुपये के शेल्फ में गलती से 500 रुपये के नोट रख दिये गए। मिनटों में ही यह बात पूरे इलाके में फैल गयी और रहवासियों ने अपनी जबरदस्त प्रतिभा का परिचय देते हुए एक घंटे के अंदर ही एटीएम खाली कर दिया। इस पूरी प्रक्रिया में जनता ने अनुशासन बनाये रखा और सबने लाइन में लग कर एक एक करके मुफ्त का माल बटोर। चंद रुपयों के लिए किसी प्रकार की भगदड़ नही मचाई गयी। इस मामूली सी दिखने वाली घटना के बड़े गहरे मायने हैं।
ऐसी घटना से चाहे अनचाहे हमारे जगतगुरु कहलाने वाले राष्ट्र का चरित्र उजागर हो जाता है। यह सच है कि एक छोटे से कस्बे की घटना से हम पूरे राष्ट्र का आंकलन नही कर सकते परंतु एक घंटे में 250 लोगो का यह सैंपल इतना छोटा भी नही है कि इसे अनदेखा किया जा सके।
उस दिन लाइन में लगे हुए लोगो मे दफ्तर जाने वाले लोग भी होंगे और दुकान धंधा चलाने वाले लोग भी। वही चेहरे होंगे जिन्हें ईमानदारी का चोगा पहने हुए आप अपने आस पास देख सकते हैं। लाइन में लगी हुई वह भीड़ सही मायने में भारतीय आम आदमी का प्रतिनिधित्व करती हुई मालूम पड़ती है। तो क्या यह मान लिया जाये कि बहुत सारे लोग सिर्फ इसलिए ईमानदार बने हुए हैं या ईमानदार प्रतीत होते हैं कि उनको आज तक बेईमानी करने का मौका ही नही मिला।
जनसत्ता 02अगस्त 2017 में भी प्रकाशित
ऐसी घटना से चाहे अनचाहे हमारे जगतगुरु कहलाने वाले राष्ट्र का चरित्र उजागर हो जाता है। यह सच है कि एक छोटे से कस्बे की घटना से हम पूरे राष्ट्र का आंकलन नही कर सकते परंतु एक घंटे में 250 लोगो का यह सैंपल इतना छोटा भी नही है कि इसे अनदेखा किया जा सके।
उस दिन लाइन में लगे हुए लोगो मे दफ्तर जाने वाले लोग भी होंगे और दुकान धंधा चलाने वाले लोग भी। वही चेहरे होंगे जिन्हें ईमानदारी का चोगा पहने हुए आप अपने आस पास देख सकते हैं। लाइन में लगी हुई वह भीड़ सही मायने में भारतीय आम आदमी का प्रतिनिधित्व करती हुई मालूम पड़ती है। तो क्या यह मान लिया जाये कि बहुत सारे लोग सिर्फ इसलिए ईमानदार बने हुए हैं या ईमानदार प्रतीत होते हैं कि उनको आज तक बेईमानी करने का मौका ही नही मिला।
जनसत्ता 02अगस्त 2017 में भी प्रकाशित