Wednesday 6 May 2015

सब्सिडी किसके लिए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा समर्थ लोगो से रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील करना ऊपरी तौर पर तो सराहनीय प्रतीत होता है परन्तु उसका व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद कम ही है। कारण कि जब जनता सांसदों एवं मंत्रियों को संसद की कैंटीन, आलीशान बंगले , टेलीफोन भत्ता तथा वीआईपी कोटे में रेल यात्रा इत्यादि में बिना हिचक सरकारी धन का इस्तेमाल करते हुए देखती है तो उनसे सब्सिडी छोड़ने की उम्मीद करना व्यर्थ ही है। राजस्व घाटे को कम करने की सोच अच्छी तो है पर एक आम आदमी के नज़रिए से देखा जाए तो उसे सांसदों, विधायको द्वारा अच्छी खासी तनख्वाह होने के बावजूद सरकारी खर्चे पर सुख भोगने के सामने स्वयं ली जाने वाली गैस सब्सिडी नगण्य ही मानी जाएगी.

वैसे भी हमारी जनता प्रत्येक क्षेत्र में 'माननीयो' का अनुसरण करती है तो मुफ्तखोरी में भला कैसे पीछे रह सकती है. हमारे नेतागण जिस प्रकार से अपनी सहूलियत के लिए आयकर दाताओं का पैसा फूकते है, वे जनता को सब्सिडी छोड़ने का आग्रह करने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। 

प्रधानमंत्री जी का जनता को गैस सब्सिडी छोड़ने की नसीहत देना और स्वयं संसद की कैंटीन का शाही खाना खाकर 29 रूपए का बिल भर कर चलते बनना अपने आप में विरोधाभासी है। भ्रष्टाचार के सामान ही उत्तरदायित्व की भावना भी सदैव उच्च स्तर से निम्न स्तर की तरफ प्रवाहित होती है l उच्च संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्ति अपनी कथनी से नहीं बल्कि करनी से ही जन मानस को सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

Also Published on editorial page of Jansatta Newspaper dated 05.05.2014 
http://epaper.jansatta.com/493218/Jansatta.com/Jansatta-Hindi-05052015#page/6/2



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